Saturday, April 15, 2017

आमा के चटनी

आमा के चटनी 
आमा के चटनी ह अब्बड मिठाथे,
दु कावरा भात ह जादा खवाथे,


कच्चा कच्चा आमा ल लोढहा मे कुचरथे,
लसुन धनिया डार के मिरचा ल बुरकथे,

चटनी ल देख के लार चुचवाथे,
आमा के चटनी ह अब्बड मिठाथे,

बोरे बासी संग मे चाट चाट के खाथे,
बासी ल खा के हिरदय ह जुडाथे,

खाथे जे बासी चटनी अब्बड मजा पाथे,
आमा के चटनी ह अब्बड मिठाथे,

बगीचा मे फरे हे लट लट ले आमा,
टुरा मन देखत हे, धरो कामा कामा,

लुका लुका के चोराये बर बगीचा मे जाथे,
आमा के चटनी ह अब्बड मिठाथे,

दाई ह हमर संगी,चटनी सुघ्घर बनाथे,
ओकर हाथ के बनाये चटनी गजब  के मिठाथे,

कुर संग म भात ह उत्ताधुर्रा खवाथे,
आमा के चटनी ह संगी ,अब्बड मिठाथे।

बने खाहु संगी हो आमा के चटनी ला

No comments:

Post a Comment