आमा के चटनी
आमा के चटनी ह अब्बड मिठाथे,दु कावरा भात ह जादा खवाथे,
कच्चा कच्चा आमा ल लोढहा मे कुचरथे,
लसुन धनिया डार के मिरचा ल बुरकथे,
चटनी ल देख के लार चुचवाथे,
आमा के चटनी ह अब्बड मिठाथे,
बोरे बासी संग मे चाट चाट के खाथे,
बासी ल खा के हिरदय ह जुडाथे,
बासी ल खा के हिरदय ह जुडाथे,
खाथे जे बासी चटनी अब्बड मजा पाथे,
आमा के चटनी ह अब्बड मिठाथे,
बगीचा मे फरे हे लट लट ले आमा,
टुरा मन देखत हे, धरो कामा कामा,
टुरा मन देखत हे, धरो कामा कामा,
लुका लुका के चोराये बर बगीचा मे जाथे,
आमा के चटनी ह अब्बड मिठाथे,
दाई ह हमर संगी,चटनी सुघ्घर बनाथे,
ओकर हाथ के बनाये चटनी गजब के मिठाथे,
ओकर हाथ के बनाये चटनी गजब के मिठाथे,
कुर संग म भात ह उत्ताधुर्रा खवाथे,
आमा के चटनी ह संगी ,अब्बड मिठाथे।
बने खाहु संगी हो आमा के चटनी ला
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