हम३६गढिया सबले बढियाँ हैं।
क्योंकि हमारे
यहां सुबह नहीँ होती बीहान होता है।
हमारे यहाँ टायलेट कोई नहीं जाते सब बाहीर
डहर जाते हैं।
हम ब्रश नही करते मुखारी करते
हैं।
हमारे यहाँ मारते नहीं गडिया देते हैं।
३६गढ में कुत्ता काटता नहीँ हबक देता है।
हम बढिया हैं क्योंकि यहाँ थाली में
नहीँ खाया जाता हम बटकी में खाते हैं।
हमारे यहाँ शादी में मण्डप
नहीँ बनाया जाता यहां मडवा गडियाया
जाता है।
हमारे यहाँ लोग सोते नहीँ घुलंड जाते हैं।
३६गढिया ऐसे भी बढियां हैं
क्योंकि यहां चिल्लाता कोई नहीं
सब नरियाते हैं।
हमारे यहां सब्जी काटते नहीँ
पौऊल देते हैं।
हमारे यहां किसी का हाथ पैर जलता नहीं।
भुँजा जाता है।
तब हम दवा लगाते नहीं।
दवई चुपरा देते हैं।
हमारे यहाँ पेट भर कोई
नहीं खाता ।
सब अघात ले खाते हैं।
यहाँ बच्चा पैदा नहीं होता।
लईका बियाया जाता है।
हम
किसी किसी से मारपीट नहीं करते।
हम हूदर देतें हैं।
हमें प्यार नहीं होता
हमें मया हो जाता है।
हम कुत्ते को भगाते नहीँ।
हम दुर्रा देतें हैं।
हम सिर में कँघी नहीं करते।
हम३६गढिया मुड़ कोर लेते हैं।
आखिर हम३६गढीया को कोइ आंख दिखाये तो ।
ईजत मरजात के खातिर सौरी नहीं कहते
धर के अईठ घलव देतें हैं।
अउ मया में ......पूछ......
झन ......
फूले ..............फु.....ले बिछाते
नही
दसा देतें हैं।।।।।।
इसीलिये मित्रौं
हम ३६ गढ़िया
सबले बढ़िया हैं।।।।
नमस्ते नहीं मित्रौं
जय जोहार संगवारी
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