Sunday, May 7, 2017

अटकन-बटकन दही चटाकन

1- ( अटकन )
अर्थ-
जीर्ण शरीर हुआ जीव जब भोजन उचित रूप से निगल तक नहीँ पाता अटकने लगता है--
2- ( बटकन )
अर्थ-
मृत्युकाल निकट आते ही जब पुतलियाँ उलटने लगती हैं-
3- ( दही चटाकन )
अर्थ -
उसके बाद जब जीव जाने के लिए आतुर काल में होता है तो लोग कहते हैँ गंगाजल पिलाओ
4- (  लउहा लाटा बन के काटा )
अर्थ-
जब जीव मर गया तब श्मशान भूमि ले जाकर लकड़ियों से जलाना अर्थात जल्दी जल्दी लकड़ी लाकर जलाया जाना
6- ( तुहुर-तुहुर पानी गिरय )
अर्थ-
जल रही चिता के पास खड़े हर जीव की आँखों में आंसू होते हैं
7- ( सावन में करेला फुटय )
अर्थ-
अश्रुपूरित होकर कपाल क्रिया कर मस्तक को फोड़ना |
8- ( चल चल बेटा गंगा जाबो )
अर्थ-
अस्थि संचय पश्चात उसे विसर्जन हेतु गंगा ले  जाना ।
9- ( गंगा ले गोदावरी जाबो )
अर्थ-
अस्थि विसर्जित कर घर लौटना ।
10- ( पाका-पाका बेल खाबो )
अर्थ-
घर में पक्वान्न (तेरहवीं अथवा दस गात्र में) खाना और खिलाना |
11- ( बेल के डारा टुटगे )
अर्थ-
सब खा-पीकर अपने-अपने घर चले गए  |
12- ( भरे कटोरा फुटगे )
अर्थ-
उस जीव का इस संसार से नाता छूट गया ।
13- ( टुरी-टुरा जुझगे )
अर्थ-
दशकर्म के बाद सब कुछ भुलकर सब कोई अपने-अपने काम धंधा में लग गये |

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